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राज्यसभा

विशेष/इन-डेप्थ: तूफान...आँधी...चक्रवात...टॉरनेडो...हरिकेन...टायफून

  • 09 May 2018
  • 18 min read

संदर्भ एवं पृष्ठभूमि
कुछ दिन पहले उत्तर भारत के बड़े हिस्से के साथ देश के कुछ अन्य भागों में आया आँधी-तूफान इसका प्रमाण है कि प्रकृति का कोप क्षणभर में ही कैसी तबाही मचा देता है। जान-माल के भारी नुकसान के अलावा तेज़ रफ्तार वाले अँधड़ से हजारों पेड़ और बिजली-खंभे उखड़ गए। तूफान से सड़कों और रेल पटरियों पर पेड़ गिरने से यातायात पर असर पड़ा...घंटों बिजली गुल रही...बड़ी संख्या में कच्चे घर ध्वस्त हो गए...अरबों रुपए की संपत्ति का नुकसान हुआ... खेतों में खड़ी फसलें ओलों से बर्बाद हो गर्इं। राजस्थान से लेकर पश्चिम बंगाल तक तबाही का मंज़र दिखा। मौसम विशेषज्ञों ने इस तूफान का कारण हरियाणा के ऊपर बने चक्रवाती प्रवाह को बताया।

क्यों आती हैं धूलभरी आंधियाँ?
गर्मी के मौसम में उत्तर भारत में अक्सर ऐसी आँधियाँ आती हैं। दरअसल, जलवायु में तेज़ी से हो रहे छोटे-बड़े बदलाव मौसम-चक्र को बिगाड़ रहे हैं। उत्तरी पाकिस्तान और राजस्थान में तापमान अधिक होने पर गरम हवाएँ ऊपर की ओर उठती हैं और कम दबाव का क्षेत्र बना देती हैं। 

  • आँधी और तूफान वायुमंडल में होने वाले उन परिवर्तनों को कहते हैं, जिनमें हवा सामान्य वेग से न चलकर तेज़ गति से चलने लगती है l 
  • सभी आँधी और तूफान एक जैसे नहीं होते, उनमें कुछ-न-कुछ भिन्नता अवश्य होती हैl 
  • कुछ तूफान ऐसे होते हैं, जिनसे बहुत कम क्षेत्र प्रभावित होता है और कुछ इतने भयंकर होते हैं, जो हज़ारों किमी. तक प्रभाव डालते हैंl 
  • जब हवा तेज़ी से चलती है, तो उसे आँधी कहा जाता है; और जब इस आँधी में धूल कि मात्रा बहुत अधिक होती है, तो इसेधूलभरी आँधी कहते हैं l 
  • गर्मियों में जो आंधियाँ आती हैं,  उनका प्रमुख कारण तापमान के बढ़ने की वज़ह से बना वायु का  कम दबाव का क्षेत्र होता हैl 

किसी इलाके में जब गर्मी ज्यादा पड़ती है, तो तापमान बढ़ जाता है जिससे हवा का दबाव कम हो जाता है। हवा के इस दबाव को संतुलित करने के लिये ठंडे स्थानों से अधिक दबाव वाली हवा तेज़ी से गर्म क्षेत्र की ओर बढ़ने लगती है और इसके साथ धूल भी उड़ती है। यही तेज़ी से चलने वाली हवा धूल भरी आँधी का रूप ले लेती है।

इसरो का स्कैटसैट-1

  • पहले काफी हद तक भारत में मौसम का पूर्वानुमान नासा के मौसमी उपग्रह ISS रैपिड स्कैटसैट पर निर्भर करता था। 
  • अब इसरो स्कैटसैट-1 के ज़रिये चक्रवातों और तूफानों का पूर्वानुमान सटीकता से लगा लेता है। 
  • समर्पित स्कैट्रोमीटर पेलोड के साथ अत्याधुनिक उपग्रह स्कैटसैट-1 को 26 सितंबर, 2016 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया था। 
  • यह मौसम पूर्वानुमान, चक्रवात का पता लगाने के लिये ओशियनसेट-2 स्कैट्रोमीटर का निरंतरता मिशन है।
  • यह एक दिन में पृथ्वी की 90% सतह को कवर करता है।
  • स्कैटसैट-1 ने मैथ्यू, हिमा, नीना, नादा, वर्धा, मारुता, मुरा, हार्वे और इरमा आदि जैसे विभिन्न चक्रवातों के दौरान हवाओं की गति तथा दिशा के बारे में महत्त्वपूर्ण उपयोगी जानकारी प्रदान की। 
  • इसके अलावा, स्कैटसैट-1 डेटा एसिमिलेशन के माध्यम से बेहतर मौसम पूर्वानुमान, बेहतर साइक्लोन ट्रैक और तीव्रता की भविष्यवाणी, हवा के दाब के माध्यम से बेहतर सागर पूर्वानुमान लगाने में भी उपयोगी सिद्ध हुआ है। 
  • स्कैटसैट-1 से मिलने वाला डेटा का राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय दोनों प्रयोक्ताओं द्वारा दैनिक आधार पर उपयोग किया जाता है। यह मौसम की भविष्यवाणी और चक्रवात का पता लगाने और ट्रैकिंग के क्षेत्र में वैश्विक समुदाय को मूल्यवान इनपुट डेटा प्रदान करता है।

(टीम दृष्टि इनपुट)

क्या होता है वायु का कम दबाव का क्षेत्र? 

  • सूर्य के ताप से जब जब गर्म हवाएँ वायुमंडल में ऊपर की ओर उठती है तो उनका टकराव ठंडी हवाओं से होता है। 
  • इस स्थिति में पहले निर्वात (हवा के कम दबाव का क्षेत्र) बनता है जो बाद में इसे भरने के लिये आई बेहद तेज़ हवा की वज़ह से चक्रवात में बदल जाता है। 
  • अधिकांश चक्रवात विषुवत रेखा के निकट उष्ण कटिबंधीय क्षेत्र में आते हैं और यदा-कदा यह ठंडे क्षेत्रों में भी आ जाता है।

हवा की गति के आधार पर चक्रवातों का वर्गीकरण

  • ट्रॉपिकल डिप्रेशन वाले तूफानों की रफ्तार लगभग 38 मील प्रतिघंटा होती है
  • ट्रॉपिकल स्टॉर्म वाले तूफानों की रफ्तार 39 से 73 मील प्रतिघंटा होती है
  • श्रेणी-1 के चक्रवातों में हवा की रफ्तार 90 से 125 किमी. प्रतिघंटा होती है
  • श्रेणी-2 के चक्रवातों में हवा की रफ्तार 126 से 164 किमी. प्रतिघंटा होती है
  • श्रेणी-3 के चक्रवातों में हवा की रफ्तार 165 से 224 किमी. प्रतिघंटा होती है
  • श्रेणी-4 के चक्रवातों में हवा की रफ्तार 225 से 279 किमी. प्रतिघंटा होती है
  • श्रेणी-5 के चक्रवातों में हवा की रफ्तार 280 किमी. प्रतिघंटा से अधिक होती है

दोनों गोलार्द्धों में आते हैं चक्रवात
पृथ्वी के दोनों गोलार्द्धों- उत्तरी और दक्षिणी में चक्रवात आते हैं। ये चक्रवात उत्तरी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों की विपरीत दिशा में (Counter-Clockwise) तथा दक्षिणी गोलार्द्ध में घड़ी की सुइयों की दिशा (Clockwise)  में चलते  हैं। दोनों गोलार्द्धों के चक्रवातों में केवल यही एक बड़ा अंतर है। उत्तरी गोलार्द्ध में इस इसे हरिकेन, टाइफून आदि नामों से जाना जाता है। 

चक्रवातीय तूफान: समुद्री तूफान को चक्रवात कहते हैं, इनमें हवा गोल घेरे में तेज़ी से घूमती है और अपने बीच आने वाली सभी चीजों को उड़ा ले जाती है। जब किसी थोड़े से क्षेत्र में तापमान बहुत बढ़ जाता है तो वायु का दबाव एकदम से गिर जाता है। वायु के दबाव को संतुलित करने के लिये इस क्षेत्र के केंद्र की हवा तेज़ी से बढ़ती है। तेज़ गति के कारण उस क्षेत्र में हवा की गति चक्रदार हो जाती है। इस प्रकार गर्म हवा तेज़ी से ऊपर उठने लगती है जिससे वह कीप के आकार के बादल जैसा रूप ले लेती है। 

टोरनेडो: टोरनेडो द्वारा कम क्षेत्र प्रभावित होता है। इसमें हवा की रफ्तार 200 किमी. प्रति घंटे तक हो जाती है। इसके अंदर वायु का दबाव इतना कम होता है कि जब किसी भी इमारत के पास से गुजरता है तो वह इमारत अपने अंदर के वायु के दबाव के कारण ध्वस्त  हो जाती है। 

साइक्लोन: साइक्लोन पश्चिमी प्रशांत महासागर और भारत के निकट अरब सागर तथा बंगाल की खाड़ी के आस-पास उठने वाला चक्रवाती तूफान है। साइक्लोन भी समुद्र में उस जगह से उठता है जहाँ पर तापमान अन्य स्थानों के मुकाबले ज्यादा होता है। साइक्लोन में हवा की रफ्तार 140 किलोमीटर प्रतिघंटा तक हो सकती है। 

टायफून: टायफून एक कम दबाव का ऐसा तूफान है जो सागर के गर्म इलाकों से उठता है। जब हवा की रफ्तार 120 किलोमीटर प्रति घंटा से ज्यादा हो जाती है तो उसे टायफून के नाम से जाना जाता है। इसकी अधिकतम रफ्तार 360 किलोमीटर प्रति घंटा भी हो सकती है। टायफून प्रायः पश्चिमी प्रशांत महासागर से उठते हैं और इसकी आगे बढ़ने की रफ्तार 65 किलोमीटर प्रतिघंटा होती है। एशिया में ये तूफान सामान्यतया जून से नवंबर के बीच में आते हैं लेकिन अगस्त-सितंबर में इनका सबसे ज्यादा खतरा बना रहता है। टायफून 900 किलोमीटर से ज्यादा के इलाके पर असर डाल सकता है।

हरिकेन: अटलांटिक या पूर्वी प्रशांत महासागर से उठने वाले विनाशकारी तूफान को हरिकेन कहा जाता है। हरिकेन प्रायः अमेरिका की तरफ ही बढ़ते हैं। इसकी हवाओं की गति 90 किलोमीटर प्रति घंटा से 190 किलोमीटर प्रतिघंटा तक होती है।

भारत में आते हैं उष्णकटिबंधीय चक्रवात 

  • भारत में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी से ही अधिकांश तूफानों की उत्पत्ति होती है, जिन्हें उष्णकटिबंधीय चक्रवात कहा जाता है।
  • भारतीय उपमहाद्वीप के आस-पास उठने वाले तूफान घड़ी चलने की दिशा में आगे बढ़ते हैं।
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात कम दबाव प्रणाली हैं जो उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों के समुद्र में महासागरों के ऊपर विकसित होते हैं। 
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात एक तूफान है जो विशाल निम्न दबाव केंद्र और भारी तड़ित-झंझावतों के साथ आता है और तीव्र हवाओं व घनघोर वर्षा की स्थिति उत्पन्न करता है। 
  • उष्णकटिबंधीय चक्रवात की उत्पत्ति तब होती है जब नम हवा के ऊपर उठने से गर्मी पैदा होती है, जिसके फलस्वरूप नम हवा में निहित जलवाष्प का संघनन होता है। 
  • ऐसे चक्रवात मुख्यतः 30° उत्तरी एवं 30° दक्षिणी अक्षांशों के मध्य आते हैं क्योंकि इनकी उत्पत्ति हेतु उपरोक्त दशाएँ यहाँ मौजूद होती हैं। 
  • भूमध्य रेखा पर निम्न दाब के बावजूद नगण्य कोरिओलिस बल के कारण पवनें वृत्ताकार रूप में नहीं चलतीं, जिससे चक्रवात नहीं बनते। 
  • दोनों गोलार्द्धों में 30° अक्षांश के बाद ये पछुआ पवन के प्रभाव में स्थल पर पहुँचकर समाप्त हो जाती हैं।

वृहद् समुद्री सतह जहाँ तापमान 27°C से अधिक हो, कोरिओलिस बल का होना, उर्ध्वाधर वायु कर्तन (Vertical Wind Shear) का क्षीण होना, समुद्री तल तंत्र का ऊपरी अपसरण आदि इनकी उत्पत्ति एवं विकास के लिये अनुकूल स्थितियाँ हैं।

सौर तूफान (Solar Storm) की भी थी चेतावनी
हाल ही में आए भीषण आँधी-तूफान के साथ मौसम विज्ञानियों ने सौर तूफान आने की भी चेतावनी जारी की थी और जिसकी वजह से बिजली की आपूर्ति, उपग्रह आधारित नौवहन प्रणाली, मोबाइल नेटवर्क और वायु यातायात बाधित होने की संभावना जताई गई थी। अंतरिक्ष से आने वाला ऐसे सौर तूफान की उत्पत्ति सूर्य से होती है तथा इसे चुंबकीय तूफान भी कहते हैं। 

क्या है सौर तूफान?

  • सौर तूफान सूर्य की सतह पर आए क्षणिक बदलाव से उत्पन्न होते हैं। 
  • सूर्य की सतह पर बड़े पैमाने के विस्फोट होते हैं, जिसके दौरान कुछ हिस्से बेहद चमकीले प्रकाश के साथ असीम ऊर्जा छोड़ते हैं, जिसे सौर लपट (Sun Flare) कहा जाता है।
  • सूर्य की सतह पर होने वाले इस विस्फोट से उसकी सतह से बड़ी मात्रा में चुंबकीय ऊर्जा निकलती है, जिससे सूरज के कोरोना या सूर्य की बाहरी सतह का कुछ हिस्सा खुल जाता है।
  • इससे ऊर्जा बाहर की ओर निकलती है, जो आग की लपटों की तरह दिखाई देती है।
  • यह असीम ऊर्जा लगातार कई दिनों तक निकलती रहे तो इससे अति सूक्ष्म नाभिकीय कण भी निकलते हैं।
  • ये कण जब पूरी ऊर्जा के साथ ब्रह्मांड में फैल जाते हैं, तब सौर तूफान की स्थिति बनती है। 
  • इस ऊर्जा में अत्यधिक नाभिकीय विकिरण होता है, जो इसे सबसे ज्यादा खतरनाक बनाता है।

क्या होता है सौर तूफान का प्रभाव?
सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण यह है कि सूर्य की सतह पर किस दिशा में विस्फोट हुआ है, क्योंकि जिस दिशा में विस्फोट होगा, उसी दिशा में अति सूक्ष्म नाभिकीय कण भी निकलते हैं। यदि यह दिशा पृथ्वी की ओर होती है तो यह ऊर्जा उस पर भी असर डालेगी। लेकिन पृथ्वी के गर्भ से निकलने वाली चुंबकीय शक्तियाँ, जिससे वायुमंडल के आसपास एक कवच सा बन जाता है, इन कणों का रुख मोड़ देती हैं; लेकिन सौर तूफान की ऊर्जा  इस कवच को भेद देती हैं, जिससे पृथ्वी पर बड़ा असर होता है।

ब्लैकआउट की स्थिति भी बन सकती है
अमेरिका की अंतरिक्ष एजेंसी नासा ने सौर तूफान को 5 श्रेणियों--जी-1, जी-2, जी-3, जी-4 और जी-5 में बांटा है। ऐसा माना जाता है कि जी-5 श्रेणी का तूफान पृथ्वी को भारी नुकसान पहुंचा सकता है, जबकि जी-1 का सर्वाधिक प्रभाव बिजली उत्पादन पर पड़ सकता है तथा इसके पृथ्वी के निकट आने से अंतरिक्ष में मौजूद उपग्रह भी प्रभावित हो सकते हैं।

(टीम दृष्टि इनपुट)

देश में चक्रवात चेतावनी प्रणाली
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग चक्रवातों की घटनाओं का अनुमान लगाने और उनका वर्गीकरण करने का काम करता है, और आवश्यकता होने पर चेतावनी भी जारी करता है। बंगाल की खाड़ी में और अरब सागर में चक्रवात क्रमशः भारतीय मौसम विज्ञान विभाग  के चक्रवात चेतावनी केंद्र एवं चक्रवात चेतावनी केंद्र द्वारा अनुमानित किये जाते हैं। नई दिल्ली में राष्ट्रीय चक्रवात चेतावनी केंद्र इन दोनों के बीच समन्वयक के रूप में कार्य करता है। 2014 में आईएमडी ने एक एसएमएस आधारित चक्रवात चेतावनी प्रणाली लॉन्च की थी, जो कि आने वाले चक्रवात की स्थिति में लोगों को सचेत करने और तैयार रहने में सक्षम बनाती है।

निष्कर्ष: एक मशहूर उर्दू शायर ने कहा है..."किनारे से ही तूफॉं का नज़ारा देखने वाले...किनारे से कभी अंदाज़ा-ए-तूफ़ाँ नहीं होता।" हज़ारों लोगों को बेघर कर करोड़ों-अरबों रुपये की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले इस तूफानों का भारत सहित संपूर्ण विश्व में बराबर आना-जाना लगा रहता है। जब वायुमंडल में हवा की गति सामान्य से कई गुना ज्यादा बढ़ जाती है तो यह आँधी और तूफान का रूप ले लेती है। सभी आँधी और तूफान एक जैसे नहीं होते। उनमें कुछ न कुछ अलग जरूर होता है जैसे कुछ तूफान छोटे से इलाके को प्रभावित करते हैं तो कुछ हजारों किलोमीटर क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लेते हैं। जब हवा तेज़ी से चलती है, तो उसे आमतौर पर उसे आँधी कहा जाता है और समुद्र से उठने वाले तूफान को चक्रवात कहा जाता है। 

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